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ए शाम ये तेरी बेईमानी ❤️❤️

 ए शाम ये तेरी बेईमानी तेरे आते ही जाते की मनमानी तू उसकी याद लेकर आती है  और मुझे रात के हवाले कर जाती है  फिर रात से डर लगता है उसकी बात से डर लगता है ए शाम तू तोड़े बार बार, उस एतबार से डर लगता है सुर्ख शाम की अंधेरी रात  तो आज भी आई है लेकिन आज , आज वो मेरे डर को ढूंढ नहीं पाई है सच कहूं रातों को मैं अंधेरों से पहचानता था जब तक मैं जुगनुवो को नहीं जानता था एक जुगनू देखा है तो और भी होते होंगे  फिर जादू भी होता होता , और फिर भगवान भी होते होंगे, चिरागो में जिन होते होंगे, परियां भी होती होंगी , सपने भी पूरे होते होंगे  हर रात एक चांद बस मेरे चमकता होगा  चांदनी में फरिश्तों का फरमान बरसता होगा  और फिर , फिर तो प्यार भी होता होगा  वो मुझसे बात करती हैं ये करके वो मुझे खास करती हैं वो हस के धीरे से खुशियां आबसार करती हैं वो देखती हैं मेरे ओर सुर्ख मेरे हालात करती हैं मुझे लगता है मैं हू, क्योंकि अब वो मुझसे बात करती हैं क्योंकि अब वो मुझसे बात करती हैं ❤️

मृत्यु क्या है ✍️

  योगेश्वर कृष्ण ने विषाद में फंसे अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए ‘जातस्य हि धु्रवो मृत्यु:’ कह कर जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु को अवश्यंभावी बताया। जन्म अर्थात न्यायकर्ता परमपिता परमेश्वर की न्याय व्यवस्था के अंतर्गत जीवात्मा के पूर्व जन्मों के कर्मों के फलों के अनुरूप उसे उपयोग के लिए एक साधन के रूप में मनुष्य का तन प्रदान करने के संयोग को ही जन्म कहते हैं। ठीक इसके विपरीत अपनी आयु पूर्ण कर लेने के उपरांत आत्मा का जीर्ण-शीर्ण मरणधर्मा शरीर के त्याग को ही मृत्यु कहते हैं।  वेद भगवान ने भी ‘मृत्युरीशे’ कहकर स्पष्ट कर दिया कि मृत्यु अवश्यंभावी है तो मृत्यु पर विजय कैसे प्राप्त की जा सकती है। मृत्यु पर विजय को समझने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि मृत्यु किसकी होती है, हम कौन हैं और क्या हम मरणधर्मा हैं? प्रथम प्रश्र मृत्यु किसकी होती है, का उत्तर भी योगेश्वर कृष्ण ने गीता के ज्ञान में देते हुए पांच मूल तत्वों अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी के संयोग और मिलन से बने इस मनुष्य शरीर व साधन को ही मरणधर्मा बताया। साथ ही साथ नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: कह कर कृष्ण...

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 आज हम एक नए मुद्दे के बारे में बात करना चाहते है  Addiction. (लत , आदत ) किसी भी चीज की जब जरूरत से ज्यादा आदत पड़ जाए  तब वो लत (Addiction) हो जाती हैं । आज हम बात करने वाले है उस Addiction के बारे मे जिसकी चपेट मे फिलहाल पूरी की पूरी दुनिया है  Mobile phones जी हां आप सबने बिल्कुल सही सुना है  पता है एक वक्त था जब मोबाइल फोन सिर्फ हमारी जरूरत थी एक दूसरे से बात करने के लिए एक दूसरे से कनेक्ट करने के लिए लेकिन कब ये जरूरत हमारी आदत बन गई हमे पता ही नही चला, और कब ये आदत हमारी जिंदगी पर ,हमारे वजूद पर, हमारे रिश्तो पर ,हमारे एक्सिस्टेंस पर हावी हो गई हममें से किसी को realise ही नहीं हुआ  फोन में एक दूसरे का नंबर तो जरूर है पर बात नही करते  अपनो के करीब अपने तो है , पर उनके साथ नहीं है और एक कमाल की बात बताए कोई भी इस बात को मानने के लिए तैयार ही नही है कि वो मोबाइल फोन से addicted है  हा हा सच में कोई नहीं मानेगा  हर किसी को लगता है कि ये तो चलता है हर किसी के पास मोबाइल फोन है तो हम क्या गलत कर रहे हैं लेकिन हम जानते है कि आप सब इंफेक्ट हम ...

कुछ अनकही अनसुनी सी बाते ❤️❤️

 वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा आईना हाथ में है तो सूरज पे अक्स डाल कुछ लुत्फ़ भी सुराग़-रसाई में आएगा चढ़ते ही धूप शहर के खुल जाएँगे किवाड़ जिस्मों का रहगुज़ार रवानी में आएगा रख़्त-ए-सफ़र भी होगा मेरे साथ शहर में  सहारा भी शौक़-ए-नक़्ल-ए-मकानी में आएगा फिर आएगा वो मुझसे बिछड़ने के वास्ते बचपन का दौर फिर से जवानी में आएगा कब तक लहू के हब्स से गरमाएगा बदन कब तक उबाल आग से पानी में आएगा सूरत तो भूल बैठा हूँ आवाज़ याद है इक उम्र और ज़ेहन गिरानी में आएगा 'साजिद' तू अपने नाम का कतबा उठाए फिर ये लफ़्ज़ कब लिबास-मआनी में आएगा

कुछ अनकही बाते ✍️

 मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था वो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब था  मैं उस को देखने को तरसता ही रह गया जिस शख़्स की हथेली पे मेरा नसीब था बस्ती के सारे लोग ही आतिश-परस्त थे घर जल रहा था और समुंदर क़रीब था

ठाकुर माही सिंह महिमा की लेखनी ✍️

  हमे अपनी ज़िन्दगी में नकारात्मक सोच को तुरन्त बदल लेना चाहिए, जब आपकी सोच सकारात्मक होगी तभी आपको कामयाबी मिलना शुरू होगी. ज़िन्दगी में ये मायने नही रखता कि आपने ज़िन्दगी को कितना जिया, बल्कि मायने ये रखता है कि आप ज़िन्दगी में कितना खुश रहे.

हे प्रभु ...!बस इतनी शौहरत बक्शना तू मेरे नाम की.... : ठाकुर माही सिंह "महिमा"

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🖌 ठाकुर माही सिंह "महिमा" की कलम से लिखी गई लेखनी......                   🌏🌏🌴🌱🌿🌏🌏 हर किसी को खुश रख सकूँ, वो तरीका मुझे नहीं आता... जो मैं नही हूँ वैसा दिखने का सलीका मुझे नहीं आता... दिल में कुछ और जुबा पे कुछ और ये बाजीगरी का कमाल भी मुझे नहीं आता... हे प्रभु..! बस इतनी शौहरत बक्शना तू मेरे नाम को... कि जिसके भी लबों पे भी आए मुस्कराहट के साथ आए...                                     ---ठाकुर माही सिंह "महिमा" #mahithakur #thakurworld #writeaks