ए शाम ये तेरी बेईमानी ❤️❤️

 ए शाम ये तेरी बेईमानी

तेरे आते ही जाते की मनमानी

तू उसकी याद लेकर आती है 

और मुझे रात के हवाले कर जाती है 

फिर रात से डर लगता है

उसकी बात से डर लगता है

ए शाम तू तोड़े बार बार, उस एतबार से डर लगता है

सुर्ख शाम की अंधेरी रात 

तो आज भी आई है

लेकिन आज , आज वो मेरे डर को ढूंढ नहीं पाई है

सच कहूं रातों को मैं अंधेरों से पहचानता था

जब तक मैं जुगनुवो को नहीं जानता था

एक जुगनू देखा है तो और भी होते होंगे 

फिर जादू भी होता होता , और फिर भगवान भी होते होंगे, चिरागो में जिन होते होंगे, परियां भी होती होंगी , सपने भी पूरे होते होंगे 

हर रात एक चांद बस मेरे चमकता होगा 

चांदनी में फरिश्तों का फरमान बरसता होगा 

और फिर , फिर तो प्यार भी होता होगा 

वो मुझसे बात करती हैं

ये करके वो मुझे खास करती हैं

वो हस के धीरे से खुशियां आबसार करती हैं

वो देखती हैं मेरे ओर सुर्ख मेरे हालात करती हैं

मुझे लगता है मैं हू, क्योंकि अब वो मुझसे बात करती हैं

क्योंकि अब वो मुझसे बात करती हैं ❤️

Comments

Popular posts from this blog

कुछ अनकही बाते ✍️

कुछ अनकही अनसुनी सी बाते ❤️❤️